वैदिक ज्योतिष (ज्योतिष शास्त्र) और आयुर्वेद प्राचीन भारतीय विज्ञान हैं, जो स्वास्थ्य और ब्रह्मांडीय प्रभावों के बीच गहरे संबंध को दर्शाते हैं। यह मान्यता है कि नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) की स्थितियाँ हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
राशियों और शरीर के अंगों का संबंध
प्रत्येक राशि किसी न किसी शरीर के अंग से जुड़ी होती है। जैसे:
- मेष (Aries) – सिर और मस्तिष्क
- वृषभ (Taurus) – गला और स्वर तंत्र
- मिथुन (Gemini) – हाथ और फेफड़े
- कर्क (Cancer) – हृदय और छाती
- सिंह (Leo) – पेट और रीढ़
- कन्या (Virgo) – पाचन तंत्र
- तुला (Libra) – गुर्दे और त्वचा
- वृश्चिक (Scorpio) – जननांग और मूत्राशय
- धनु (Sagittarius) – जांघें और यकृत
- मकर (Capricorn) – हड्डियाँ और घुटने
- कुंभ (Aquarius) – रक्त संचार और टखने
- मीन (Pisces) – पैर और तंत्रिका तंत्र
ग्रहों और स्वास्थ्य पर प्रभाव
- सूर्य: आत्मबल, हृदय और पाचन को नियंत्रित करता है।
- चंद्र: मानसिक स्वास्थ्य और जल संतुलन को प्रभावित करता है।
- मंगल: रक्तचाप, ऊर्जा और मांसपेशियों से जुड़ा होता है।
- बुध: तंत्रिका तंत्र, बुद्धि और त्वचा पर असर डालता है।
- गुरु: यकृत और वजन को प्रभावित करता है।
- शुक्र: प्रजनन तंत्र और त्वचा की चमक से जुड़ा है।
- शनि: हड्डियों, जोड़ और पुराने रोगों को दर्शाता है।
वैदिक उपचार और महामृत्युंजय मंत्र
वैदिक चिकित्सा में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए मंत्र, योग, रत्न और आयुर्वेदिक उपाय अपनाए जाते हैं। विशेष रूप से, महामृत्युंजय मंत्र को रोगों से मुक्ति और दीर्घायु के लिए प्रभावी माना जाता है:
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥"
इसका अर्थ है: "हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो हमें पोषण और शक्ति देते हैं। कृपया हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें और अमृत का आशीर्वाद दें।"